कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा आखीर इस सवाल ने पुरे देश को सोचने में विवस कर दिया था, वजह गत २ सालो में कई बताई गई, खेर आखिर वह दिन आ गया और इसका खुलासा भी हो गया, पर हम भी आपको नहीं बताएँगे , असली मजा तब आएंगे जब आप फिल्म देखेंगे।
फ़िल्म : बाहुबली २
निर्देशक : एस एस राजामौली
निर्माता : करन जौहर, शोभू यरलागड्डा और प्रसाद देवनेनी
कास्ट : प्रभास, राणा दग्गुबती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया, राम्या कृष्णन, सत्यराज
स्टार : 4 /5
कहानी की बात करते हैं फिल्म की कहानी कटप्पा (सत्यराज) और महेंद्र बाहुबली (प्रभास) के बीच शुरू होती हैं । इसी बिच कहानी फ्लस्बैक का रुख करती हैं । महारानी शिवगामी (राम्या कृष्णन) अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास) के राज्याभिषेक की घोषणा करती हैं, साथ ही महारानी शिवगामी बाहुबली और कटप्पा को राज्य भ्रमण के लिए कहती हैं , ताकी राज्य के लोंग किस हाल में है यह एक राजा को समज में आ सके, बाहुबली और कटप्पा देश भ्रमण पर निकलते हैं। बाहुबली को पहली ही नज़र में राजकुमारी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) से प्यार हो जाता हैं, और जब भल्लालदेव (राणा दग्गुबती) को यह पता चलता है की सुन्दर और गुणवान राजकुमारी देवसेना से अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास) प्यार करता है तो वह एक चाल खेलता है और माँ महारानी शिवगामी से देवसेना से शादी का प्रस्ताव पेश करता हैं जबकि इस और इस बात की खबर ही नहीं है, और फिर हालात के मुताबिक देवसेना और महाराज अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास) एक साथ महिष्मती आते हैं।यहाँ पहुंचने के बाद हालात इस कदर बेरुख होते हैं, की कटप्पा के हाथो अमरेंद्र बाहुबली को मौत के घाट उतारा जाता हैं, कैसे राजनैतिक षड्यंत्र, भाई भाई का बेर, माँ का प्यार, पत्नी का त्याग और बेटे का बदला, माँ और महिष्मती के लोंगो को खुशहाली देने में महेंद्र बाहुबली सक्षम होते हैं |
बात करते हैं निर्देशक की एस एस राजामौली की तारीफ करते करते शायद शब्द ही कम पड़ जाए , निर्देशन हो, लोकेशन हो या कैमरा वर्क बड़ी ही खूबसूरती से काम किया गया हैं यहाँ तक वीएफएक्स भी जबरदस्त है।
अभिनय की बात करे तो प्रभास और राणा दग्गुबती ने पहले पार्ट में बढ़िया अभिनय किया था तो इस बार भी दोनों ने कोई कसर नहीं छोड़ी उनकी मेहनत उनका परिश्रम पर्दे पर नज़र आता हैं । दोनों का एक्शन और डायलॉग डिलिवरी गजब की है। अनुष्का शेट्टी भी ने पहले पार्ट में ही अपना वज़ूद स्थापित कर दिया था और इस पार्ट में तो वह एक्शन के साथ साथ उनका इमोशन भी खूब नज़र आया , वही राम्या कृष्णन ने मां और महारानी के किरदार को बखूबी निखार दिया तमन्ना भाटिया और सत्यराज यानि कटप्पा तो पहले ही सुर्खिया बटोर ही सूके है, लगता है, शाकाल, मुकेबो, गब्बर के साथ कटप्पा का नाम भी अमर हो गया |
संगीत की बात करते हैं जैसा देश वैशी भाषा यह फिल्म साउथ की हैं संगीत में वह नज़र आता है, पर कहानी के साथ चलते हैं बात अगर बैकग्राउंड स्कोर की हो तो वह फिल्म की जान है।
फिल्म २ घंटे ४७ मिनट की फिल्म हैं देखते वक़्त आपको यह महसूस होगा की काफी लम्बी है, फिल्म को थोड़ा छोटा करने की आवशकता थी, कई सीन काफी लम्बे नज़र आते हैं फिल्म २ घंटे २० मिनट में खत्म होती तो शायद और अच्छी होती |
पुष्कर ओझा